“मुलेठी”। एक ऐसा नाम जो सुनते ही जुबान पर मिठास घोल देता है। प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में इसका एक विशिष्ट स्थान है, न केवल स्वाद में, बल्कि इसके शीतलता, बलवर्धक, रोगनाशक और संजीवनी गुणों के कारण भी।
- संस्कृत नाम: यष्टिमध
- वानस्पतिक नाम: ग्लिसरिज़ा ग्लबरा
- स्वाद: मधुर (मीठा); गुण: भारी, चिकना; वीर्य: ठंडा; विपाक: मधुर
मुलेठी का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है:
- चबाकर: इसकी सूखी जड़ को सीधे चबाया जा सकता है, खासकर गले की खराश या खांसी होने पर।
- चाय के रूप में: मुलेठी की जड़ को पानी में उबालकर चाय बनाई जा सकती है।
- पाउडर के रूप में: मुलेठी के पाउडर को शहद या गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।
- आयुर्वेदिक योगों में: यह कई आयुर्वेदिक चूर्ण, सिरप और दवाओं का एक घटक है।
मुलेठी की जड़ में इतने औषधीय गुण हैं कि इसे आयुर्वेद में कई उपचारों की मूल औषधि माना जाता है। आइए जानते हैं इस ‘मीठे चमत्कार’ के अनसुने तथ्य और घर पर आजमाए जाने वाले आयुर्वेदिक उपचार।
1. वात-पित्त को संतुलित करता है
- मुलेठी शीतल होती है और पित्त को शांत करती है, लेकिन खास बात यह है कि यह वात को भी नियंत्रित करती है।
2. धूम्रपान छोड़ने में सहायक
- मुलेठी के तने को चबाने से धूम्रपान की लत धीरे-धीरे कम होती है। इससे संतुष्टि मिलती है और गले को भी आराम मिलता है।
3. स्त्री रोग संबंधी रोगों में उपयोगी
- मुलेठी को अशोक और शतावरी के साथ लेने पर यह महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, मासिक धर्म की अनियमितता और गर्भाशय की कमजोरी में चमत्कारी लाभ प्रदान करती है। महिलाओ में प्रजजन की शक्ति को बढ़ाते है ।
4. आवाज को मधुर बनाती है
- मुलेठी गायकों, वक्ताओं और शिक्षकों के लिए अमृत के समान है। यह आवाज को मधुर, स्पष्ट और मजबूत बनाती है।
5. शरीर में प्राकृतिक स्टेरॉयड के उत्पादन को बढ़ाती है
- मुलेठी की जड़ में मौजूद ‘ग्लाइसीराइज़िन’ शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन की तरह काम करता है, जो तनाव दूर करता है और सूजन कम करता है।
6. त्वचा रोगों में उपयोगी
- मुलेठी में मेलेनिन उत्पादन को नियंत्रित करने की क्षमता होती है। एलोवेरा या दही के साथ इसका चूर्ण चेहरे पर लगाने से झाइयाँ, मुंहासे और काले धब्बे दूर होते हैं।
आयुर्वेदिक घरेलू उपचार:
1. क्या आपके गले में खराश है या खांसी है?
उपाय: आधा चम्मच मुलेठी पाउडर + 1 चम्मच शहददिन में दो बार सेवन करें।
लाभ: गले को आराम देता है, कफ कम करता है, आवाज़ में सुधार करता है।
2. गैस्ट्रिक या अल्सर की समस्या
उपाय: मुलेठी पाउडर को दूध में मिलाकर उबालें।इसे रोज़ सुबह खाली पेट पिएँ।
लाभ: एसिडिटी, सीने में जलन, गैस और पेट दर्द में लाभ
3. तनाव या अनिद्रा
उपाय: मुलेठी, अश्वगंधा + शंखपुष्पी को बराबर मात्रा में मिलाएँ • रात को सोने से पहले दूध के साथ एक चम्मच लें
लाभ: मानसिक शांति, बेहतर नींद, यह एड्रेनल ग्रंथियों का समर्थन करती है, जो तनाव हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
4. त्वचा पर दाग-धब्बे
उपाय: मुलेठी पाउडर + दूध या गुलाब जल
चेहरे पर 15 मिनट तक लगाएँ, फिर धो लें
लाभ: साफ़, चमकदार और दाग-धब्बों से मुक्त त्वचा
5. मौसमी सर्दी-ज़ुकाम
उपाय: मुलेठी + तुलसी, अदरक + शहद का काढ़ा ●
लाभ: रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, गला साफ़ करता है, सर्दी को नियंत्रित करता है
6.एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण:
मुलेठी में शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने में मदद करते हैं। यह गठिया और अन्य सूजन संबंधी स्थितियों से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
7.प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाए:
मुलेठी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। यह शरीर को संक्रमण और बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
आयुर्वेद में मुलेठी का विशेष उल्लेख
चरक संहिता में मुलेठी को “कंठ”, “रसायन” और “वृष्य” कहा गया है। इसका अर्थ है –
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कंठ: जो गले के रोगों को दूर करता है
- रसायन: जो शरीर में नई ऊर्जा और कोशिकाओं का निर्माण करता है
- वृष्य: जो प्रजनन क्षमता बढ़ाता है
सुश्रुत संहिता में इसे नेत्र विकार, अग्निमांद्य, हृदय रोग और श्वास रोगों में विशेष रूप से उपयोगी माना गया है।
निष्कर्ष:
मुलेठी एक सरल, सस्ती लेकिन अत्यंत गुणकारी औषधि है। गले की खराश हो, तनाव हो या पाचन संबंधी समस्या – यह हर घर के आयुर्वेदिक डिब्बे में होनी चाहिए। जिस प्रकार शहद में सबको जोड़ने की शक्ति होती है, उसी प्रकार मुलेठी भी एक ‘मीठा चमत्कार’ है जो तन, मन और त्वचा को सुंदर बनाने में मदद करती है।
हालांकि मुलेठी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन कुछ लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए, क्योंकि यह रक्तचाप को बढ़ा सकती है। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी इसके सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।